दगा दे गई देश के गृह मंत्री पी चिदंबरम की किस्मत। नई सरकार के उनके कार्यकाल में आखिरकार आतंकी हमला हो ही गया। देश की आंतरिक सुरक्षा में 14 महीने बाद खौफनाक सेंध लगी है। चिदंबरम की झक सफेद धोती और बुश्शर्ट पर आतंक के खूनी छीटें पड़ ही गए।
13 फरवरी को धमाके से पुणे दहल गया। इस धमाके से महज हफ्ते भर पहले ही मुख्यमंत्रियों की बैठक में चिदंबरम का आत्ममुग्ध बयान आया था। उन्होंने 26/11 के बाद देश में बड़ा आतंकी हमला न होने को लेकर खुद की पीठ थपथपाई। ऐसा करके उन्होंने नई और पिछली यूपीए सरकार में खुद के 14 महीनों के हुकूमत की तारीफ की थी। हालांकि इसके पहले भी विनम्र गृह मंत्री ऐसे बयान देते रहे हैं। दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड में उन्होंने सनसनीखेज खुलासा कर देश को चौंका दिया था। उन्होंने देश को बताया था कि उनके 13 महीनों के कार्यकाल में देश 13 बार आतंकियों ने हमले की नापाक कोशिश की। देश के इन हमलों से बचने का सेहरा उन्होंने किस्मत के सिर बांध दिया। ये एक अरब की आबादी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले काबिल मंत्री का नाकाबिले तारीफ बयान था।
दरअसल पी चिदंबरम आत्ममुग्ध गृह मंत्री हैं। अपने आचार-व्यवहार से वक्त-वक्त पर ये साबित करते रहते हैं। वकील से राजनेता बने चिदंबरम का सुरक्षा तामझाम में न चलना काबिले तारीफ है। लेकिन आतंक की काली नजरों से घिरे देश के गृह मंत्री का सुरक्षा के तामझाम से दूर रहना कहीं सियासी दिखावा तो नहीं है। ये सरदार पटेल के वक्त का भारत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत है। जिस पर दसों दिशाओं से आतंकियों की काली नजर है और जो मौत का सामान जुटाए भारत को तहस-नहस करने की ताक में बैंठे हैं।
ये किसी से छिपा नहीं कि पाकिस्तान परस्त और पोषित आतंकी संगठन जब-तब हमारी धज्जियां उड़ाते रहे हैं। लेकिन अब खतरा उससे भी बड़ा है। अब तो पाकिस्तान की काली कोख में छुपे बैठे अल कायदा के आतंकी भी जिहाद की धमकी दे रहे हैं। पुणे धमाका ऐसी ही खूनी धमकी का विस्तार है। इस धमाके का संदेश साफ है। विदेशियों को निशाना बनाओ। यानी अब अंतरराष्ट्रीय 'पाप की धुरी' का नया टारगेट है भारत। कम से जर्मन बेकरी में धमाका तो यही भयावह संदेश देता है। अगर ये सही है तो फिर चिदंबरम की किस्मत का तो वही जाने लेकिन भारत की किस्मत की गारंटी भगवान भी नहीं ले सकता। 9/11 के बाद अल कायदा ने अपनी सारी काली ताकत झोंक दी। लेकिन वो अमेरिका में 9/11 दोहराने में नाकाम रहा। कम से कम ये अमेरिका की किस्मत नहीं थी, बल्कि जुनूनी फैसलों से किस्मत बदल डालने की अमेरिकी जिद थी। ये अमेरिका की तगड़ी और चाक चौबंद सुरक्षा व 'बेइज्जती' की हद तक की जाने वाली सुरक्षा जांच थी, जिसने अल कायदा के नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया।
अमेरिका पर हमलों के लिए तड़प रहे अल कायदा को भारत सॉफ्ट टारगेट दिख रहा है। फरवरी महीने की ही 5 तारीख को पाकिस्तान से आतंकी अब्दुल रहमान मक्की ने पुणे, कानपुर, दिल्ली में धमाके में धमकी दी थी। सिर्फ 8 दिन बाद ही पुणे का जर्मन बेकरी 10 लोगों की कब्रगाह बन गया। अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सरहद के कबीलों में छिपे अल कायदा के आतंकी इलियास कश्मीरी ने धमकी दी है। इलियास ने विदेशी खिलाड़ियों को भारत न आने की धमकी दी। ये धमकी तब आई है जबकि महीने के आखिर से हॉकी वर्ल्ड कप होना है। इसके बाद आईपीएल और कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी खिलाड़ी भारत में होंगे। ऐसे में अगर अल कायदा अपनी नापाक धमकी को अंजाम देने पर उतर आया तो फिर पी चिदंबरम की किस्मत में इतनी ताकत नहीं है कि वो देश को बचा ले
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